ज़माने की नज़र से.....


ज़माने की नज़र से बच न सका कोई,

हर शख़्स यहाँ आईना-ए-दर्द हुआ।

गैरों के इल्ज़ाम से क्यों डरें, ऐ दिल,

ख़ुदा के इरादे से कौन मर्द हुआ।


जो समझे फ़क़त दूसरों के गुनाह,

अपने दामन का दाग़ देखा नहीं।

ज़िंदगी की हक़ीक़त को जो समझ गया,

उसने हर तंज़ को शिकवा कहा नहीं।


दुनिया के फ़ैसलों से मत घबरा,

हक़ीक़त का रास्ता अकेला सही।

जो सच्चाई पर चलता है,

वही खुदा का सच्चा वसीला सही।



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